Narak Chaturdashi
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Narak Chaturdashi, also known as Choti Diwali or Roop Chaturdashi, is a Hindu festival that is celebrated on the fourteenth day of the dark fortnight (Krishna Paksha) of the Hindu lunar month of Kartik. It typically falls one day before the main festival of Diwali. Narak Chaturdashi is mainly observed in India.
The festival is associated with the victory of Lord Krishna over the demon king Narakasura. According to Hindu mythology, Narakasura was a powerful and cruel demon who had terrorized the world. He had imprisoned thousands of women and stolen the earrings of Aditi, the mother of the gods. Lord Krishna, along with his wife Satyabhama, fought and defeated Narakasura on this day, freeing the imprisoned women and restoring the stolen earrings.
Key customs and traditions associated with Narak Chaturdashi include:
Early morning oil bath: Taking an oil bath before sunrise on Narak Chaturdashi is a common tradition. The oil bath is symbolic of the ritualistic cleansing of the body and the victory of good over evil.
Pre-dawn rituals: People wake up early, before sunrise, and offer prayers to Lord Krishna or Lord Vishnu. This is followed by a ceremonial bath.
Lighting of lamps and oil diyas: Just like on Diwali, people light oil lamps and diyas to drive away darkness and evil forces.
Cracking fireworks: Similar to Diwali, people often light fireworks and firecrackers to celebrate the victory of good over evil.
Feasting and sweets: Special meals and sweets are prepared and shared with family and friends. Traditional sweets like laddoos and jalebis are often made.
Rituals and prayers: Some people also perform special prayers or pujas on this day to seek blessings for good health, prosperity, and the removal of obstacles.
Narak Chaturdashi is a precursor to the grand festival of Diwali and is celebrated with enthusiasm and fervor, particularly in North India. It is a time for family gatherings, delicious food, and the lighting of lamps and fireworks. The significance of Narak Chaturdashi lies in the victory of righteousness over evil and the restoration of peace and prosperity.
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नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो कार्तिक के हिंदू चंद्र माह के अंधेरे पखवाड़े (कृष्ण पक्ष) के चौदहवें दिन मनाया जाता है। यह आमतौर पर दिवाली के मुख्य त्योहार से एक दिन पहले पड़ता है। नरक चतुर्दशी मुख्य रूप से भारत में मनाई जाती है।
यह त्योहार राक्षस राजा नरकासुर पर भगवान कृष्ण की जीत से जुड़ा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर एक शक्तिशाली और क्रूर राक्षस था जिसने दुनिया को आतंकित कर रखा था। उसने हजारों स्त्रियों को कैद कर लिया था और देवताओं की माता अदिति की बालियाँ चुरा ली थीं। भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ इस दिन नरकासुर से युद्ध किया और उसे हराया, कैद की गई महिलाओं को मुक्त कराया और चुराई गई बालियां वापस दिलाईं।
नरक चतुर्दशी से जुड़े प्रमुख रीति-रिवाजों और परंपराओं में शामिल हैं:
सुबह-सुबह तेल से स्नान: नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले तेल से स्नान करना एक आम परंपरा है। तेल स्नान शरीर की अनुष्ठानिक सफाई और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
भोर से पहले की रस्में: लोग सूर्योदय से पहले उठते हैं, और भगवान कृष्ण या भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इसके बाद औपचारिक स्नान किया जाता है।
दीपक और तेल के दीये जलाना: दिवाली की तरह ही, लोग अंधेरे और बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए तेल के दीपक और दीये जलाते हैं।
आतिशबाजी चलाना: दिवाली की तरह, लोग अक्सर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए आतिशबाजी और पटाखे जलाते हैं।
दावत और मिठाइयाँ: विशेष भोजन और मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं और परिवार और दोस्तों के साथ साझा की जाती हैं। लड्डू और जलेबी जैसी पारंपरिक मिठाइयाँ अक्सर बनाई जाती हैं।
अनुष्ठान और प्रार्थनाएँ: कुछ लोग अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन विशेष प्रार्थना या पूजा भी करते हैं।
नरक चतुर्दशी दिवाली के भव्य त्योहार का अग्रदूत है और विशेष रूप से उत्तर भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह पारिवारिक समारोहों, स्वादिष्ट भोजन, दीये जलाने और आतिशबाजी का समय है। नरक चतुर्दशी का महत्व बुराई पर धर्म की जीत और शांति और समृद्धि की बहाली में निहित है।
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